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1 Feb 2021 · 2 min read

95. बच्चों का सुख

बच्चे जब बच्चे होते हैं,
बच्चे-बूढ़े-जवान सबको अच्छे लगते हैं ।
वो कोमल – कोमल अंग-प्रत्यंग उसका, सबकुछ बहुत प्यारे प्यारे लगते हैं ।।

साथ में उससे खेलने का,
जी करता सपरिवार का,
हर माँ बाप का होता है अरमान ।
दिन हो या रात, गोद में लेकर उसको,
घुमाने कहीं भी निकल जाता इंसान ।।

एक पल ना चिंता करता,
भले गोद में वो सु-सु, और छी-छी भी करता,
फिर भी ना घिन्नाता इंसान ।
क्योंकि वो जन्नत का सुख पाता इंसान ।।

फिर भी तुम कभी यह भ्रम में ना रहना,
कि बच्चों को तुमने जन्म दिया ।
बच्चों का जब जन्म होता है,
आप तभी माँ-बाप बनते हैं ।
इसलिये समझो बच्चों ने,
आपका भी नव श्रृजन किया ।।

तुम माँ बाप हो इसके,
यह बच्चा है तुम्हारा ।
इसके पालनहार बने हो तुम,
यह जानता है जग सारा ।।

बाप बेटों का रिश्ता होता,
केवल पालनहार का ।
तुम जन्म दिये, पिता कहलाये,
वो जगत पिता कहलाते हैं ।
क्योंकि वो पालनहार बने संसार का ।।

मगन रहता हर कोई यहाँ,
अपने बच्चों के संग ।
एक झलक पाने को,
दिल बेताब रहता उनका,
चाहे कोई हो वो राजा,रंक,दबंग ।।

बच्चों को जवान होते ही,
सब हैरान होने लगते हैं ।
नटखटपन उनका देखकर,
सब परेशान होने लगते हैं ।।

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं,
तो माँ बाप , गाँव-समाज,
सबका नाम रौशन करते हैं ।
सबको सुख पहुँचाते हैं ।।

लेकिन कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं,
जो माँ बाप ही नहीं बल्कि,
समाज को भी दु:ख पहुँचाते हैं ।।

आत्मा दु:खी होने के कारण,
भले ही कुछ माँ बाप कहते हैं ।
बच्चों से हमें आजतक,
कोई सुख नहीं मिला ।।

पर परम सत्य यह भी है कि,
माता पिता के सुख से बड़ा,
और कोई दूजा सुख इस संसार में,
अभीतक किसी को नहीं मिला ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 15/07/2020
समय – 05:50 ( शाम )
संपर्क – 9065388391

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 350 Views
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