“बच्चे मन के सच्चे”
“बच्चे मन के सच्चे”
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नौ साल पहले की बात है ।
एक गांव था,
उस गांव में नरेश नाम का एक बच्चा अपने मां के साथ रहता था। नरेश के पिता काम के सिलसिले में प्राय: बाहर रहते थे। एक दिन,
वह खेलते खेलते सड़क पर चला गया, और अचानक से एक पागल कुत्ता उसे परेशान करने लगा, बच्चा बहुत रोने लगा और इससे पहले की कुत्ता उसे काटता ,समीर की नजर उसपर पड़ी, उसने तुरंत लपककर उसे गोद में उठा लिया।
समीर उसके घर से थोड़ी दूर पर रहता था।
समीर उसे अपने घर ले गया, उसे चॉकलेट दिया और बहुत प्यार दुलार भी। फिर आवाज लगाने लगा की यह बच्चा किसका है,
तभी नरेश की मां रानी उस आदमी की आवाज सुनकर उसके घर पहुंची ।
रानी उस आदमी को देखकर चौंक गई , क्योंकि समीर अच्छा आदमी नहीं था, कई बार जेल जा चुका था, मारपीट और कुछ अन्य अपराध के मामले में।
बच्चे को लेकर रानी अपने घर लौट आई।
अब बच्चा हर दिन समीर से मिलने की बार बार जिद करने लगा था, क्योंकि समीर उसे बहुत अच्छा लगने लगा था।
बार बार बच्चे का समीर से मिलना रानी और नरेश के पिता को अच्छी नहीं लगी।
नरेश के पिता समझ गए की ये उसके अपने बच्चे से दूर रहने के कारण हो रहा है, नरेश उसके प्यार से वंचित होने के कारण दूसरे के घर जाना चाहता है।
अब नरेश के पिता बाहर जाना छोड़ दिए, और घर के पास ही अपना एक दुकान खोल दिए।
और अपने बच्चे के पास रहने लगे।
फिर बच्चा अपने पिता के पास रहने लगा, और समय बिताने लगा। अब वह समीर से मिलने की जिद कभी नही करता था।
कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि बच्चों को जहां प्यार और स्नेह मिलेगा वो वहीं रहना पसंद करता है।
क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हैं।
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..✍️प्रांजल
..कटिहार।