बच्चे की अभिलाषा
मैं कवित्री बनूं
उनके जैसा
मां कोई कविता लिख दो ना|
महादेवी हुई विश्वास हुए
उनके जैसा कर दो ना
गुस्से से बोलूं जब भी मैं
मेरी मीठी बोली कर दो ना|
मैं झूठ कहूं तुमसे कुछ
तुम उसको सच्चा कर दो ना|
मैं जीतू सबके दिल
मुझे ऐसी शिक्षा दो ना मां ।
सरहद पर तेरा नाम करूं
मुझे बॉर्डर पर भेजो ना मां|
संसद में तो चोर बसे
लोकतंत्र अब चल बसे
समझौता मुझे नहीं करना
तुम दुश्मन से कह दो ना मां|
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
का बदला लेने दो ना मां|
मैं मर भी जाऊं बॉर्डर पर
तुम हरगिज ना रोना मां|
लक्ष्मीबाई की तरह मरू
मुझे ऐसा वर दे दो ना मां|
विश्वास कभी इतिहास ना भूले
कोई ऐसी कविता लिख दो ना|
जैसी है परछाई तुम्हारी
अपनी जैसी कर दो ना|
सरहद पर तो जंग छिड़ी है
मेरे छोटे को भेजो ना मां|
जब मैं हूं अकेला सरहद पर
मुझे राष्ट्रीय गीत सुनाना मां|
बलिदान व्यर्थ ना जाएगा
उन वीरों को समझाना मां|
मैं लौट के फिर आऊंगी
तुम बिल्कुल ना घबराना मां|
क्या हुआ हालात बुरे हैं
हालातों को समझो मां|
संकट की घड़ी है मेरे वतन पर
तुम बाहर ना निकलो मां
तू तो है जननी मेरी
जज्बातों को समझो मां|
बलिदान व्यर्थ ना जाएगा
आप समझाएगीं तो सब समझेगा ।
हम कवित्री हैं कायर नहीं
मेरे कलम की ताकत समझो ना|
खंजर से कट जाओगे
तलवारों से मर जाओगे|
मात्र कलम की एक लेखनी से
दुनिया से मिट जाओगे|
मां ऐसी कविता लिख दो ना।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव