बच्चें ये बच्चें
बच्चें ये बच्चें, बच्चें ये बच्चें।
खुशी के हैं पिटारे ये बच्चें।।
धरती को स्वर्ग हैं बनाते ये बच्चें।
बेचैन मन को एकाग्र बनाए ये बच्चें।।
विकास की लहर है फैलाए ये बच्चें।
रोकर घर को सर पे उठाए ये बच्चें।।
जो न कहो उसी को हैं करते ये बच्चें।
भगवान का स्वरूप होते हैं ये बच्चें।।
भोले और नादान होते हैं ये बच्चें।
भारत को विश्वगुरु बनाते ये बच्चें।।
जमीन के सितारे तो हैं ये बच्चें।
सभी के मन को बहलाए ये बच्चें।।
मां बाप की खुशी के कारण हैं ये बच्चें।
मां बाप की आंखों के हैं तारे ये बच्चें।।
कभी ना गुम होने वाली हसीं हैं ये बच्चें।
लोगों को खुश रहना सीखाते ये बच्चें।।