बच्चा बनकर तो देखो
छम छम मेघा बरसे
नाचे झूमे हम मन ये तरसे
आओ मिलकर बड़प्पन के सारे पहरे तोड़ दे
बच्चा बनकर अनमोल रतन से नाता जोड़ ले
जिम्मेदारियों की बेड़ियों से टूटकर स्वयं से दो बाते करलें
तितलियों के पीछे भाग कर तो देखो
कोयल की तरह कुकू करके तो देखो
पुष्प पुष्प पे हुआ शृंगार है गुफ्तगू करके तो देखो
एक बार फिर कागज की नाव बनाकर उसे तेरा कर तो देखो
राहों पर बरखा फुहारों में भीग कर तो देखो
एक बार फिर बच्चा बनकर तो देखो
रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश