बचे हैं जो अरमां तुम्हारे दिल में
बचे हैं जो अरमां तुम्हारे दिल में,
उनको पूरा कर लो अब तुम।
अब ना हाथ आऊंगी तुम्हारे,
चाहे जितने जतन कर लो तुम।।
बचे जो तीर तरकस में तुम्हारे,
उनको बेशक चला लो तुम ।
दिए जो जख्म दिल में तुमने ,
कितना नमक लगा लो तुम।।
मैं अबला नहीं रही हूं अब
जिसे कभी सताते थे तुम।
मैं सबला बन चुकी हूं अब,
कितने ही प्रयत्न कर लो तुम।।
मिलता था चैन तुमको,
जब बेचैन करते थे तुम।
मै रोती रही पूरी जिंदगी,
जरा मुस्करा लो अब तुम।।
चलाए जो नैनो से बाण तुमने,
उनको कर लो अब कम तुम।
बहुत सताया है मुझे तुमने,
ढाओ न सितम अब और तुम।।
जा रही हूं आखरी मंजिल पे,
कफ़न उढ़ा दो अब तो तुम।
चलेंगे लोग सब पीछे मेरे,
बस कंधा दे देना अब तुम।।
भले ही अदृश्य हूं कफ़न में,
देख सकते है सब कुछ तुम।
अपना चेहरा दिखा दो मुझे,
मिल न पाएंगे कभी हम तुम।।
-आर के रस्तोगी गुरुग्राम