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1 Dec 2018 · 1 min read

बचाकर रखना

बचाकर रखना

बचाकर रखना उन यादों को जो
दौड़ती-भागती दुनिया के सामने
धूमिल होती जा रही है।।

बचाकर रखना उन धरोहरों की छवि जो
कंक्रीट की विशालकाय इमारतों के सामने
नष्ट होती जा रही है।।

बचाकर रखना उन संस्कृतियों को जो
इस पाश्चात्यकृत दुनिया में अपना
दम तोड़ रही है।।

बचाकर रखना उन भाषाओं-बोलियों को जो
अंग्रेज़ियत के सामने समाप्त हो रही है।।

बचाकर रखना अपनी आबोहवा को जो
प्रदूषण के कारण ज़हरीली हो रही है।।

बचाकर रखना देश की एकता-अखंडता को जो
पल पल साम्प्रदायिकता का दंश झेल रही है।।

✍️करिश्मा शाह
नेहरू विहार, नई दिल्ली
मेल- karishmashah803@gmail.com

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 378 Views

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