बचपन
छल ना कपट
ना मैला मन
ना किसी से किसी को थी जलन
कितना प्यारा था बचपन
इर्ष्या, द्वेष, वैर, भाव ना था
जीवन में कोई तनाव ना था
ना दिल में थी कोई उलझन
कितना प्यारा था बचपन
पल में लडना पल में झगड़ना
खुश होकर फिर साथ में चलना
नहीं रहती थी कभी अनबन
कितना प्यारा था बचपन
राजीव रोहतासी
मो-8210666825
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