बचपन
इससे पहले की इस जहाँ का सच समझ जाए
आओ बचपन की कहानी में कहीं खो जाए
हमको फिर से वो चँदा लगने लगे मामा सा
वो लोग थे जो प्यारे मर के तारे बन जाए।
था मुझको बहुत बड़ा शौक़ बड़ा होने का
आज बचपन को याद करके शौक़ पछताए।
मुझे बचपन से फ़क़त एक ही शिकायत है
हज़ार मिन्नतों के बाद भी न लौट आए।
बड़ी रफ़्तार से चलती है आज की दुनिया
आओ बचपन की ही यादों में कहीं खो जाए।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’