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2 Feb 2021 · 1 min read

बचपन

“बचपन”

बचपन के दिन भूल ना जाना ,
रस्ते में वो चूरन खाना ,
छतों पे चढ़कर पतंग उड़ाना ,
रूठे यारों को वह मनाना ,बचपन के दिन भूल ना जाना ।

अपना था वो शाही जमाना ,
सिनेमा हॉल को भग जाना ,
दोस्तों की मंडली बनाना ,बचपन के दिन भूल न जाना ।

खेलने जाने का वो बहाना ,
पढ़ने से जी को चुराना ,
मास्टर जी से वो मार खाना, बचपन के दिन भूल ना जाना

हाथ में होते थे चार आना , ।
फितरत होती थी सेठाना ,
मुश्किल है ये याद भुलाना, बचपन के दिन भूल ना
जाना ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 342 Views
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