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14 Nov 2020 · 1 min read

बचपन

बाल दिवस पर विशेष

बचपन

मैं हूँ एक अभागा बचपन।
समाज द्वारा त्यागा बचपन।।

कूड़े से रोटी बीन रहा,
भूखी नींद से जागा बचपन।।

भूख गरीबी का पहनावा,
कहें सभी ये नागा बचपन।।

राहें देखूं इन्कलाब की,
शोषण ने है दागा बचपन।।

कब तक रहूंगा मैं बेगौर,
टूटा धर्म का धागा बचपन।।

सिल्ला खून औ आंसू लिखता,
भीख मांगने लागा बचपन।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 805 Views
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