बचपन
———-बचपन—————-
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बचपन का वो हसीन जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
नही थी कमाने की चिंता,नहीं थी सोच
उछलते कूदते पैर मे आ जाती थी मोच
रंगलीन लम्हों का जमाना बीत ही गया
जिंन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
हमजोली की टोलियों में घूमना फिरना
भैसों की पूँछे पकड़ के पोखर में तैरना
नन्हें,नंगे पैर रहगुजर मे जाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
दादी नानी की कहानी हो गई हैं पुरानी
नई नई शरारतें ,बचपन की थी नादानी
माँ की गोद मे सोना, जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
दादा दादी का प्यार, पिता की फटकार
भाई बहनों से लगाव, माता का दुलार
जिद्द से बात मनवाने का दौर बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
बरसात का मौसम, कागज की किश्ती
लाल रंग की कुल्फी,मुश्किल से मिलती
संतरा गोली खाने का जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
माँ से आँख बचा कर घर से भाग जाना
पड़ोसी के घर टी.वी.देखते पकड़े जाना
चोरी सेचीजे चुराने का जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
खेलने का स्वाद,मंदिर से मिलता प्रसाद
चोरी नहीं पकड़ी जाने की गई फरियाद
खुद कर,अंजान रहना जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
सखा संग हम खूब करते थे मौज मस्ती
पड़ोसियों से मांग कर खाना सागसब्जी
नाक का बहते रहना ,जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
खुशी खुशी से माँ संग ननिहाल जाना
रोते बिलखते डाँट खा, विद्यालय जाना
सुखविंद्र’ वो स्वर्णिम जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
बचपन का वो हसीन जमाना बीत गया
जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258