बचपन ग़ज़ल
ग़ज़ल
काफ़िया-ईर
रदीफ़-देखी
122 122 122 122
कि अल्बम में’ यादों कि जंजीर देखी।
वो’ बचपन कि फिर आज तस्वीर देखी।
था मिट्टी का बंग्ला वो’ कागज़ की नौका
वही आज बचपन कि ज़ागीर देखी।
निडर घूमते थे, न थी कोई चिन्ता
हाँ’ बिछड़ी हुई एक तक़दीर देखी।
लिए गोद में माँ दुलारे खुशी से
वो’ हाँथो में ममता की तासीर देखी।
हुई आंख नम देख तस्वीर सारी
कि यादों कि दिल मे मधुर पीर देखी।
अभिनव मिश्र अदम्य