बचपन चाहिए
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बचपन चाहिए
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मुझे मेरा प्यारा बचपन चाहिए।
वह बालहठ और स्वच्छ मन चाहिए।
खेल मिट्टी से चिढाना’ बुजुर्गों को,
लड़ना मिलाना अपनापन चाहिए।
गन्ने चूसना खाना गुड़ की डली,
वही भूख स्वाद मीठापन चाहिए।
मोड़कर पन्ने कागज के उडाना,
कश्ती चलाना वह’ लड़कपन चाहिए।
खिलौने चुराकर के’ जमघट लगाना,
जोरों चिल्लाना वाकपन चाहिए।
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नीरज पुरोहित रुद्रप्रयाग (उत्तराखण्ड)