– बचपन चला गया पर बचपना नही गया –
बचपन चला गया पर बचपना नही गया –
बाल्यावस्था में खेले कूदे,
बहुत की थी मौज ,
मस्ती में है झूमे थे हम,
न किसी की चिंता न कोई परेशानी का खौफ,
अब जब देखते है बच्चो को ,
उनके नन्हे कदमों को,
हो जाते है हम भी बच्चे नही रहता उम्र का भान,
चली गई जो अवस्था उसका नही रहता है ध्यान,
बच्चे के संग बच्चे बनकर खेलने कूदने का मन करे,
क्योंकि भले ही बचपन चला गया हो,
पर नही गया अब तक बचपना,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान