बचपन की यादें
गिल्ली डंडा खो खो और वो गांवन की यादें
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा ०–
१–सुबह सुबह लेकर उठते थे हाथ में कंचा गोली
दिन बैठे ही जुट जाते थे खेलै आंख मिचौली
भूले थे जो खेल में कंघी दरपन की यादें।
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा ०–
२- मस्त कलंदर बनकर घूमें, नदिया ताल तलैया
रसगुल्ले से प्यारे थे खुरमा गट्टा लैया
मेले वाले गन्ना अमरख चूरन की यादें
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा ०–
३– पढ़ने को जब कहते बाप्पा मर जाती थी नानी
बात बात पर भड़क ही जाती थी जो गरम जवानी
राजा जैसे दिन थे वो सब यौवन की यादें
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा ०–
४—सांझ सबेरे सजधज कर वो पनघट पर जाना
गांव की सबसे सुन्दर प्यारी भौजी से बतियाना
पायल की वो रुन झुन चूड़ी कंगन की यादें
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा ०–
५–गली गली में घूम रहे थे बनकर किसन कन्हाई
जहां पे देखी सुन्दर बाला वहीं पे आंख लड़ाई
प्रीतम दिल से दूर न जाती गलियन की यादें
बहुत सताती हैं वो हमको बचपन की यादें
गिल्ली डंडा खो खो और वो गांवन की यादें
बहुत सताती ०—-
प्रीतम श्रावस्तवी