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27 May 2022 · 3 min read

बचपन की यादें।

याद बहुत आता है हमकों
वह बचपन वाला दिन,
रिंकु, टिंकु चिंटु, पिंटु, समीर
और सुरभी के साथ बिताएँ मस्ती वाले दिन
खेल – खेल बीत जाता था सारा सारा दिन
और रातें कट जाती थी
हम सबका तारे को गिन – गिन।
याद बहुत आता है हमें बचपन वाला दिन।

अपने घर में पाँव टिकते
रहते चाचा-चाची के घर
पूरा पूरा दिन ।
घर जाएँगे तो मम्मी-पापा से
पढने के लिए डाँट सुनेंगे।
पर कहाँ चिन्ता रहता था उस दिन
आज भी याद बहुत आता है
वह मस्ती वाले दिन।

चाचा जी वह हम बच्चों को बैठाकर
क्लास लगाना।
क्या किए हो पूरा दिन यह कहकर डाँट लगाना।
हम सब पर अपनत्व भरा अपना प्यार जतना।
चाची जी का बीच में आकर हम सबको बचाना।
बच्चा है सब सीख जाएँगें,
यह कहकर हम सब को वहाँ से भगाना ।
याद बहुत आता हमकों
वह बचपन वाला दिन।

न किसी चीज को पाने की इच्छा थी
न किसी चीज का खोने का था डर ।
अपनी ही धुन मे सदा रहते थे
हम सब भाई बहन ।
काश मिल जाता फिर हमको
बचपन वाला वह घर ,
कोई लौटा दे हमें बचपन
का वह पहर।
याद बहुत आते हैं वह बचपन वाले दिन।

होती थी स्कूल की छुट्टियाँ जब शुरू
धमा चौकरी मच जाती थी।
गलियाँ क्रिकेट के मैदान बदल जाती थी
फिर कहाँ कोई खिड़की दरवाजा
चौको और छक्के से बच पाता था।
फिर गेंद लाने और डाँट सुनने के लिए
सबसे छोटे को आगे कर दिया जाता था।
वह बेचारा हम-सब से डरकर
गेंद लेकर आता था
आज बहुत याद आता वह
मासुमियत वाले दिन।

बारिश शुरू हुआ नहीं की
लौट आता था हम सबका सुहाना पल।
घर में बनने लगते थे अच्छी-अच्छी पकवाने
और हम सबका शुरू हो जाता था
कागज का नाव बनाने वाला पल
आधी कॉपी समझो नाव बनकर
पानी में बह जाता था
फिर प्रक्रिया शुरू होती
नाव के गिनने का
किसने कितना नाव बहाया
यही गिनने मे बीत जाता था
पुरा – पुरा दिन।
याद बहुत आते हमको
बचपन के वह बारिश वाले दिन।

डाँट सुनकर अन्दर आ गए
फिर भी नजरे बाहर टिकी है
किसका नाव डूबा किसका बचा
इसी काम में दिल और दिमाग
दोनों लगा रहता था।
छोटी छोटी पल में सारी
खुशियाँ मिल जाती थी,
चाची जी के साथ बैठकर
सुन सिरयल के आगे कहानी
ऐसे बातों-बातों मे कट जाती थी
पुरा पुरा दिन।
याद बहुत आते हैं वह बचपन वाले दिन।

पल भर में लड़ना और झगड़ना
पल भर में ही मान जाना।
मन मे न रखना किसी के लिए
किसी तरह का कोई बैर,
वह था बचपन वाला जमाना।
बड़े को गुस्सा होना और छोटे पर जताना,
फिर चॉकेलट देकर उसको झट से मनाना।
पल भर का समय नहीं लगता था
इन सब बातों को भुल जाने में,
याद बहुत आता है वह बचपन वाला वह दिन।

फिर हँसी-खुशी साथ में सब मिल जाते थे,
सारा माहौल बदल जाता था
रह जाता था तो दिलों में
सिर्फ और सिर्फ मिठास।
काश बचपन वाले यह सीख
हम बड़े होकर भी अपना लेते,
आज रिशतो में इतनी करवाहट न होती
और न हम बचपन को याद कर रहे होते।
काश लौट कर आता फिर वह बचपन वाला दिन।

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 5 Comments · 793 Views
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