बचपन की मस्तियां
जिनमें आबाद थीं
मोहब्बत की बस्तियां!
चलो हम ढूंढ़ लाएं
वो कागज़ की कश्तियां!!
वो सावन के झूले
कैसे यह दिल भूले
कहता था जब कोई
तू आजा-मुझे छू ले
जाने खो गईं कहां
उस बचपन की मस्तियां!!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)