बचपन का बखान
आम के बगीचे से खाते आम ।
खेल खेल कर थकते हर शाम ।।
खजूर तेंदू करौंदे और सीताफल।
अमरूद कबीट खाते रामफल ।।
जंगल जाकर तेंदू पत्ते भी तोड़े ।
एक एक मित्र हमने अब जोड़े ।।
असटा चंगा सबसे प्यारा खेल ।
खेल कर बनाया था सबसे मेल ।।
जब आते थे बरसात के दिन ।
कैसे रहते पानी मे भींगे बिन ।।
रिमझिम फुहारों से सब खेलते ।
निकाल कपड़े हम सब कूदते ।।
कीचड़ में चलने का आनन्द था ।
नदी नालों से हर रास्ता बंद था ।।
बादल की सुनते थे गड़गड़ाहट।
भागकर घर पहुँचते थे झटपट ।।
कैसे करूँ बचपन का बखान ।
गाँव मेरा था सबसे सुंदर जहान ।।