बघेली कविता
किहन रात दिन मेहनत भइलो बहुत गरीबी झेलन !
अपने खुद जीवन के साथे आँख मिचउली खेलन !!
पढ़न नहीं हम कबहू मन से आपन हाल बताई !
कक्का किक्की साथे मा ही कविता अहिमक गाई !!
दिआ जलाये लेहे पोथन्ना देहरउटा मा बइठी !
राजू लाला अउर विपिन के कान पकड़ी के अइठी !!
ग़लत होय जब जोड़ घटाना दइके एड़ुआ पेलन !
किहन रात दिन मेहनत भइलो बहुत गरीबी झेलन !
गुट्का पाउच खूब खबाइन दोस्त परोसी हितुआ !
उहौ फलाने खर्च करय खुब जे थूक मा सानय सेतुआ !!
भिरुहाये बागय उ हमका दुपहर साँझ सकारे !
खेते मेड़े काम कराबय गरिआबय दउमारे !!
सुनत रहन हम बहुत दिना से एकदिन मुड़भर बेलन !
किहन रात दिन मेहनत भइलो बहुत गरीबी झेलन !!
घरके पहिलउठी बेटबा हम रोउना खूब रोबाई !
महतारी के बात ना मानी दिनभर करी लड़ाई !!
सोबत परे हाथ गोड़ बाधिस मरतय मारिस डंडा !
सगलौ भूत बगारे भगिगे बनिगय अम्मा पंडा !!
दुसरे दिन हम गाड़ी बईठन भेजय लागन बेतन !
किहन रात दिन मेहनत भइलो बहुत गरीबी झेलन !!
मौलिक Kavi Ashish Tiwari Jugnoo
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