बगिया
कितने मौसम
गुजर गये थे
अब आयी है
बारी उसकी ।
सपनो के
मिल जाने से
बदल गयी हैं
राहें उसकी ।
सुखद हवाओं के
झोकों से
महक रही है
बगिया उसकी ।
खुशियों के
आ जाने से
छलक रही हैं
आंखें उसकी ।।
राज विग 07.06.2020
कितने मौसम
गुजर गये थे
अब आयी है
बारी उसकी ।
सपनो के
मिल जाने से
बदल गयी हैं
राहें उसकी ।
सुखद हवाओं के
झोकों से
महक रही है
बगिया उसकी ।
खुशियों के
आ जाने से
छलक रही हैं
आंखें उसकी ।।
राज विग 07.06.2020