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27 Aug 2024 · 2 min read

*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*

बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय

आज दिनांक 27 अगस्त 2024 मंगलवार की रात्रि बगिया जोखीराम में शिवालय के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह अत्यंत प्राचीन मंदिर है। शिवालय का शिखर ऊंचा है। शिवालय के चारों ओर परिक्रमा स्थल है। शिवालय में प्रवेश द्वार जैसा कि आमतौर पर मंदिरों में होता है, काफी ऊंचाई का है।

शिवालय के निकट ही दो समाधियॉं हैं। एक समाधि पर लगी हुई नारंगी रंग की टाइलें ध्यान आकर्षित करती हैं । टाइलों के ऊपर गोल गुंबद है। गुंबद पर टाइलें नहीं हैं । इसकी संरचना पुरानी और जैसी आरंभ में रही होगी, वैसी ही है। समाधि के भीतर प्रवेश के लिए द्वार समाधि के विशालकाय भवन की तुलना में बहुत छोटा है। समाधियों के बारे में यही विचार संभवत चलता रहा होगा। यह एक प्रकार से साधना की स्थली कहीं जा सकती है।
इस समाधि के बारे में निकट ही एक भवन में खाट पर बैठे हुए एक संत से जब हमने पूछा तो उन्होंने इसे जोगी परशुराम जी की समाधि बताया। कहा कि यह उदासीन संप्रदाय के थे। खाट पर जो संत बैठे हुए थे, उनके बड़ी-बड़ी घुंघराले बालों की लटें थीं । शरीर भारी था। बगिया जोखीराम के इतिहास से उनका अच्छा परिचय था।
जो दूसरी समाधि उन्होंने बताई वह बंसी वाले बाबा की थी। जब हम उस पर गए, तो वहां का प्रवेश द्वार और भी छोटा था। सरलता से प्रवेश संभव नहीं था। बंसी वाले बाबा की समाधि के भीतर बिजली के बल्ब से प्रकाश हो रहा था। बहुत ही छोटे प्रवेश द्वार के कारण हमने भीतर प्रवेश करना उचित नहीं समझा।
बगिया जोखीराम में उदासीन संप्रदाय के प्रमुख संतों की परंपरा में जोगी परशुराम के बाद बंसी वाले बाबा तथा तदुपरांत नारायण दास जी प्रभारी संत बने।

जिस स्थान पर महाराज श्री खाट पर विराजमान थे, उस बरामदे के भीतर का कमरा उदासीन संप्रदाय के महान संतों के चित्रों से सुसज्जित था। कक्ष के प्रवेश द्वार के फर्श पर एक पत्थर लगा था। उस पर लिखा था:

लाला श्यामलाल राधे लाल चॉंदी वाले संवत 1992

आजकल विक्रम संवत 2081 चल रहा है। इस प्रकार यह लगभग नव्वे वर्ष पुराना पत्थर उदार प्रवृत्ति के धनी लाला श्याम लाल राधे लाल चॉंदी वालों की दानशीलता का प्रमाण है।

इन्हीं सब धार्मिक क्रियाकलापों से थोड़ा आगे चलकर भजन का कार्यक्रम एक बड़े से हॉल में हो रहा था। यहॉं विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियॉं चारों ओर स्थापित हैं । भगवान कृष्ण को झूले में बिठाया हुआ था। यह जन्माष्टमी के पर्व का स्वागत-सत्कार था। परिसर में साफ सफाई थी। व्यवस्थाओं को देखना और उनको संचालित करना एक बड़ा काम होता है। बगिया जोखीराम के भीतर जो भी धार्मिक प्रवृत्तियां चल रही हैं, उनसे जुड़े हुए सभी महानुभावों को हृदय से प्रणाम।

लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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