‘बकवास’
‘बकवास’
मानव -जन को , नहीं आभास।
जब करता, किसी का उपहास।
समय कहां है, आज किसी को;
कि सुन ले कोई,कुछ बकवास।
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…..✍️पंकज ‘कर्ण’
……….. कटिहार।।
‘बकवास’
मानव -जन को , नहीं आभास।
जब करता, किसी का उपहास।
समय कहां है, आज किसी को;
कि सुन ले कोई,कुछ बकवास।
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…..✍️पंकज ‘कर्ण’
……….. कटिहार।।