बंधन बाधा हर हरो
कुंडलिया छंद….
बंधन बाधा हर हरो, हे! माधव अव्यक्त।
बोल रहे हैं हर तरफ, राधे- राधे भक्त।।
राधे-राधे भक्त, धरा पर फिर आ जाओ।
मानव मन में प्रेम, द्वंद्व संताप मिटाओ।।
करते है जयकार, द्वार हे! यशुदानन्दन।
‘राही’ कोटि पुकार, कटे हर बाधा बंधन।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)