बंद तालों में
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है
लगा
तालों में
जंग अभी
तराशना है
मृत से रिश्ते को
प्रेम व विश्वास से
सहेज कर रखना
इन्सानियत के पौधे
तभी रिश्तों के बीच
खत्म होगी दूरी
फूट जायेगी
फिर नयी
कोपलें
नन्ही
सी
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तू
कभी
ना छोड़
उम्मीद को
हृदय द्वार
खोल कर देखो
बंद ताले तोड़ दो
परंपरा की बेड़ियाँ
मन में दबी इच्छा को
थोड़ी सी उड़ान दो
उठो अब जागो
नई जिंदगी
नयी आशा
बंद है
तालों
में
???????
है
फूटा
अंकुर
उम्मीद का
बंद तालों में
जीवन अास का
मन के विश्वास का
नयी सुबह के साथ
नयी रोशनी के साथ
नयी उर्जा के साथ
हृदय के द्वार
तोड़ के ताले
पुष्प खिला
नन्हा-सा
पौधे
में
??????—लक्ष्मी सिंह ?☺