बंदिश में नहीं रहना है
अन्याय कभी ना करना मगर
अन्याय कभी न सहना है।
अपने जीवन की कथा यही
बंदिश में नहीं रहना है।
स्वाभिमान है अटल मेरा
मैं इसे नहीं झुकने दूंगा।
धन दौलत के खातिर में
स्वयं को नहीं बिकने दूंगा।
चाहे विपदा कैसी भी हो
सामना डटकर करना है।
अंतर्बल को जगा ले विष्णु
तुझको आगे बढ़ाना है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’