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29 Jul 2021 · 1 min read

बंदिशों का प्यार

हजारों बन्दिशों में भी
हम तुझे याद करते थे
हज़ारों पहरों में भी हम
आंखों के इसारे ही सही,
पर बात किया करते थे।
अब न कोई बन्दिशें हैं
अब न कोई पहरे हैं
तुम वहाँ ठहरे हो
और हम यहाँ ठहरे हैं।
©”अमित”

Language: Hindi
3 Likes · 297 Views
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