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17 May 2024 · 1 min read

बंदिशें

बंदिशे (स्वैच्छिक )

बंदिशे काम न आयीं, जमाने की यारों,
काफिले प्यार के फिर , राहों में सजने ही लगे,
कमबख़त ईश्क उनका, इस कदर परवां चढ़ा,
भंवरे कलियों पर देखो कैसे मंडराने ही लगे|

साजिशे नाकाम तेरी मलिकाये हुस्न,
कुंवारे लौट फिर घर को जाने ही लगे|
तमन्ना ईश्क की है, तू जलवा दिखा तो सही,
मजनूं गुलाबों संग प्यार जताने ही लगे|
🥰🥰🥰🥰
डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा ‘कुमुदिनी’ लखनऊ

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