बँटवारा
सच है की इस मिट्टी में मिल गयें, खून कई बलिदानो का।
जो अपने हिस्से का सारा, आसमान भी दे कर चले गए।।
चूका न सकेँगे मर के भी कर, उन आज़ादी के दीवानो का।
जागीर में जो हमे जाते जाते, ये एहसान भी दे कर चले गए।।
पर ” किसी के बाप का, हिदुस्तान थोड़े है ” ये कहने वालो।
उनके वसीयतनामे पे तो, पाकिस्तान भी ले कर चले गए।।
अब जो राख़ यहाँ है शेष बची, ये आग है उन शमशानों की।
तुम तो अपने मिट्टी के संग, कब्रिस्तान भी ले कर चले गए।।
बंटवारे की हाय बिसंगत, कौन है कितना झेल रहा।
उधर जनेऊ रहा नही फिर, इधर कौम क्यो शेष रहा।।
मानवता के नाम बताओ, हम ही क्यो कर छले गए,
और रहे तुम धर्मान्धी जो, कत्लेआम कर चले गए।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ११/०२/२०१८ )