बंजर करके छोडे़गा
और कितना बवंडर करके छोड़ेगा
वक़्त क्या सब खंण्डहर करके छोड़ेगा
हाकिम खुश है अपने फैसलों पर
लगता है सब बंजर करके छोड़ेगा
ये क्या कम है कि तूने दिल बांट दिये
देश का और क्या मंजर करके छोड़ेगा
तेरी जद मे दरख्तों के साये जल गये
अब इंसानों को भी क्या पंजर करके छोड़ेगा
उसकी जिद से तो यूँ लगता है’आलम’
वो लाशों पे खुद को सिकंदर करके छोड़ेगा
मारुफ आलम
पंजर-हड्डी का ढांचा