Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2020 · 3 min read

फ्रैंड रिक्वेस्ट की कीमत

——–फ्रैंड रिक्वेस्ट की कीमत—————-
————-कहानी————————–
रिया एक बहुत ही मासूम और भोली भाली खुद तक ही सीमित रहने वाली लड़की थी। तीन भाईयो की मंझली इकलौती बहन और पिता जी के दिल जिगर का टुकड़ा ।
माँ छोटे भाई को जन्म देते ही भगवान को प्यारी हो गई थी।इसलिए माता और पिता दोनों का ही प्यार घर की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते पिता ने ही दिया था।बारहवीं की की परीक्षा विज्ञान संकाय में हाल ही में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की थी।आगे की पढाई जारी रखते हूए पिता जी ने उसका दाखिला शहर के महाविद्यालय में करवा दिया था।वहाँ का माहौल पूर्णतया घर के माहौल से भिन्न था।आरम्भ में चुपचाप रहने वाली संकोची रिया का कोई मित्र नहीं था।घर से कोलेज और कोलेज से घर, यही सैड्यूल था उसका
।कुछ ही दिनों बाद उसकी मित्रता चंचल सी लड़की रीत से हुई।नटखट रीत के लड़के और लड़कियां दोनों ही मित्र थे।और सभी के पास मंहगे मोबाइल थे।उन बीच खुद को अलग सा महसूस करती थी।धीरे धीरे उसी माहौल में ढलते हुए मोबाइल की जरूरत महसूस की।पिताजी से कभी कुछ ना मांगने वाली रिया ने पढाई में जरूरत का बहाना बनाते दबी आवाज में मोबाइल की मांग कर ही दी।और पिता ने भी समय की मांग और सुरक्षा के लहजे से एक मध्यम स्तर का मोबाइल दिलवा दिया,जिसको प्राप्त कर वह बहुत ही खुश थी।धीरे धीरे उसने भी वट्सऐप और फेसबुक चलाना सीख लिया था।और धीरे धीरे उसके फेसबुकिया मित्रों की बढोतरी हो गई थी।एक रात रात्रि के प्रथम पहर को पढते समय उसके मोबाइल की फेसबुक संदेश की गाने के रुप में सैट की हुई धुन बजी।देखने पर उसने पाया कि उसके बारहवीं कक्षा कक्षा के सहपाठी रहे अमित की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई थी।अमित उसकी कक्षा का होनहार विद्यार्थियों में से एक सुंदर और सुडौल अच्छी कद काठी वाला विद्यार्थी था,जिसके पीछे दर्जनों लड़कियाँ आंहे भरती थी,पर वह किसी को तवज्जो नहीं देता था।अतीत की स्मृतियों से बाहर निकलते हुए कुछ संकोच और सोच के साथ फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार करते हुए उसकी हैलो का जवाब भी दे दिया। उस रात एक दूसरे के बारे बारीकियों से जानकारी लेने तक ही चैटिंग सीमित रही।धीरे धीरे बात आगे बढती गई।उम्र और जवानी की मांग के अनुसार दोनों की चैटिंग दिशा भटकते हूए दोनों को परस्पर आकर्षित करते हुए निकटता के क्षैत्र में प्रवेश करते हुए गहरी मित्रता में तबदील हो गई।दोनोंही अधिकतम समय चैटिंग पर बीताते और परिणामस्वरूप उसकी पढाई भी प्रभावित हो रही थी और उसने घर पर झूठ बोलना भी शुरू कर दिया था।
धीरे धीरे दोनों प्रजम के चंगुल में फंसते हूए रोमांटिक बातों और क्रियाकलापों में लीन रहने लगे।चोरी चोरी मिलना भी शुरु कर दिया था।एक रात अचानक उसके निरन्तरता में चैटिंग करते आँख लगने पर मोबाइल झिटक कर बिस्तर से नीचे गिर गया और उसके शयनकक्ष में गुजरते पिता जी के हाथ लग गया।उन दोनों के बीच की चैटिंग पढ़ उस असहाय से पिता की आँखें की खुली खुली रह गई और मस्तिष्क सुन्न एवं शरीर व जीभ को जैसे लकवा मार गया हो।अगले दिन उसके बुद्धिमान और लाचार पिताजी जी उससे बिना बताए और चर्चा किए उसका कोलेज छुड़वा दिया…… और अगले कुछेक दिनों में समय से पहले बिना योजना के उसकी शादी एक बेरोजगारी और नशैड़ी युवक से कर दी गई….और कुछ दिनों बाद खबर आई कि उसने शादी के छह महीनों में ही नशैड़ी पति से तंग आकर आत्महत्या कर ली थीं।…..इस प्रकार रिया को उस फ्रैंड रिक्वेस्ट का हर्जाना अपनी अनमोल जिन्दगी की कीमत चुका कर करना पड़ा था ।

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Comments · 236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लोकतंत्र का महापर्व
लोकतंत्र का महापर्व
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
सम्मान नहीं मिलता
सम्मान नहीं मिलता
Dr fauzia Naseem shad
हालात से लड़ सकूं
हालात से लड़ सकूं
Chitra Bisht
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Finding someone to love us in such a way is rare,
Finding someone to love us in such a way is rare,
पूर्वार्थ
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
Anand Kumar
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
Lakhan Yadav
प्यार का उपहार तुमको मिल गया है।
प्यार का उपहार तुमको मिल गया है।
surenderpal vaidya
गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
Surya Barman
सच्चा मन का मीत वो,
सच्चा मन का मीत वो,
sushil sarna
बहुत प्यारी है प्रकृति
बहुत प्यारी है प्रकृति
जगदीश लववंशी
I met Myself!
I met Myself!
कविता झा ‘गीत’
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
परीक्षा
परीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय*
4780.*पूर्णिका*
4780.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल-
बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल-
Shreedhar
"हासिल"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
gurudeenverma198
दिल में इश्क भरा है
दिल में इश्क भरा है
Surinder blackpen
*भरोसा हो तो*
*भरोसा हो तो*
नेताम आर सी
कितना दर्द सिमट कर।
कितना दर्द सिमट कर।
Taj Mohammad
्किसने कहा नशें सिर्फ शराब में होती है,
्किसने कहा नशें सिर्फ शराब में होती है,
Radha Bablu mishra
8--🌸और फिर 🌸
8--🌸और फिर 🌸
Mahima shukla
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नेता
नेता
Raju Gajbhiye
सब को जीनी पड़ेगी ये जिन्दगी
सब को जीनी पड़ेगी ये जिन्दगी
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दो इंसानों के बीच यदि किसी मतभेद के कारण दूरियां बनी हो और आ
दो इंसानों के बीच यदि किसी मतभेद के कारण दूरियां बनी हो और आ
shubham saroj
Loading...