फ्रैंड रिक्वेस्ट की कीमत
——–फ्रैंड रिक्वेस्ट की कीमत—————-
————-कहानी————————–
रिया एक बहुत ही मासूम और भोली भाली खुद तक ही सीमित रहने वाली लड़की थी। तीन भाईयो की मंझली इकलौती बहन और पिता जी के दिल जिगर का टुकड़ा ।
माँ छोटे भाई को जन्म देते ही भगवान को प्यारी हो गई थी।इसलिए माता और पिता दोनों का ही प्यार घर की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते पिता ने ही दिया था।बारहवीं की की परीक्षा विज्ञान संकाय में हाल ही में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की थी।आगे की पढाई जारी रखते हूए पिता जी ने उसका दाखिला शहर के महाविद्यालय में करवा दिया था।वहाँ का माहौल पूर्णतया घर के माहौल से भिन्न था।आरम्भ में चुपचाप रहने वाली संकोची रिया का कोई मित्र नहीं था।घर से कोलेज और कोलेज से घर, यही सैड्यूल था उसका
।कुछ ही दिनों बाद उसकी मित्रता चंचल सी लड़की रीत से हुई।नटखट रीत के लड़के और लड़कियां दोनों ही मित्र थे।और सभी के पास मंहगे मोबाइल थे।उन बीच खुद को अलग सा महसूस करती थी।धीरे धीरे उसी माहौल में ढलते हुए मोबाइल की जरूरत महसूस की।पिताजी से कभी कुछ ना मांगने वाली रिया ने पढाई में जरूरत का बहाना बनाते दबी आवाज में मोबाइल की मांग कर ही दी।और पिता ने भी समय की मांग और सुरक्षा के लहजे से एक मध्यम स्तर का मोबाइल दिलवा दिया,जिसको प्राप्त कर वह बहुत ही खुश थी।धीरे धीरे उसने भी वट्सऐप और फेसबुक चलाना सीख लिया था।और धीरे धीरे उसके फेसबुकिया मित्रों की बढोतरी हो गई थी।एक रात रात्रि के प्रथम पहर को पढते समय उसके मोबाइल की फेसबुक संदेश की गाने के रुप में सैट की हुई धुन बजी।देखने पर उसने पाया कि उसके बारहवीं कक्षा कक्षा के सहपाठी रहे अमित की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई थी।अमित उसकी कक्षा का होनहार विद्यार्थियों में से एक सुंदर और सुडौल अच्छी कद काठी वाला विद्यार्थी था,जिसके पीछे दर्जनों लड़कियाँ आंहे भरती थी,पर वह किसी को तवज्जो नहीं देता था।अतीत की स्मृतियों से बाहर निकलते हुए कुछ संकोच और सोच के साथ फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार करते हुए उसकी हैलो का जवाब भी दे दिया। उस रात एक दूसरे के बारे बारीकियों से जानकारी लेने तक ही चैटिंग सीमित रही।धीरे धीरे बात आगे बढती गई।उम्र और जवानी की मांग के अनुसार दोनों की चैटिंग दिशा भटकते हूए दोनों को परस्पर आकर्षित करते हुए निकटता के क्षैत्र में प्रवेश करते हुए गहरी मित्रता में तबदील हो गई।दोनोंही अधिकतम समय चैटिंग पर बीताते और परिणामस्वरूप उसकी पढाई भी प्रभावित हो रही थी और उसने घर पर झूठ बोलना भी शुरू कर दिया था।
धीरे धीरे दोनों प्रजम के चंगुल में फंसते हूए रोमांटिक बातों और क्रियाकलापों में लीन रहने लगे।चोरी चोरी मिलना भी शुरु कर दिया था।एक रात अचानक उसके निरन्तरता में चैटिंग करते आँख लगने पर मोबाइल झिटक कर बिस्तर से नीचे गिर गया और उसके शयनकक्ष में गुजरते पिता जी के हाथ लग गया।उन दोनों के बीच की चैटिंग पढ़ उस असहाय से पिता की आँखें की खुली खुली रह गई और मस्तिष्क सुन्न एवं शरीर व जीभ को जैसे लकवा मार गया हो।अगले दिन उसके बुद्धिमान और लाचार पिताजी जी उससे बिना बताए और चर्चा किए उसका कोलेज छुड़वा दिया…… और अगले कुछेक दिनों में समय से पहले बिना योजना के उसकी शादी एक बेरोजगारी और नशैड़ी युवक से कर दी गई….और कुछ दिनों बाद खबर आई कि उसने शादी के छह महीनों में ही नशैड़ी पति से तंग आकर आत्महत्या कर ली थीं।…..इस प्रकार रिया को उस फ्रैंड रिक्वेस्ट का हर्जाना अपनी अनमोल जिन्दगी की कीमत चुका कर करना पड़ा था ।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)