Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2018 · 3 min read

फैसला

सुबह- सुबह लान में टहलते हुए जगन्नाथ महापात्र के मन में द्वंद्व छिड़ा हुआ था. पत्नी के निधन के बाद वो सारा व्यापार बेटे को सौंपकर अपना समय किसी तरह घर के छोटे- छोटे कार्यों व पोते- पोती के साथ खेलने बतियाने में काट रहे थे, लेकिन जब से डॉक्टर ने उसे किसी भयानक रोग से संक्रमित होना बताया है, बेटे-बहू का व्यवहार उसके प्रति बदल गया है.

डॉक्टर के यह कहने के बावजूद कि ~यह बीमारी इलाज ज़रूर है लेकिन छूत की नहीं, आप लोगों को अब इनका विशेष ध्यान रखना चाहिए…,
वे उससे कन्नी काटने लगे हैं. बच्चों को उसके निकट तक नहीं फटकने दिया जाता. भोजन भी नौकर के हाथ कमरे में भिजवाया जाने लगा है. उसे अब अपनी मेहनत के बल पर खड़ा किया गया अपना साम्राज्य –बंगला, गाड़ी, नौकर- चाकर, बैंक बैलेंस आदि सब व्यर्थ लगने लगा है.

टहलते- टहलते वे बेटे-बहू की मोटे परदे लगी हुई लान में खुलने वाली खिड़की के निकट से गुज़रे तो उनकी अस्फुट बातचीत में ‘पिताजी’ शब्द सुनकर वहीँ आड़ में खड़े होकर उनकी बातचीत सुनने लगे. बहू कह रही थी-

“देखो, पिताजी की बीमारी चाहे छूत की न भी हो लेकिन मैं परिवार के स्वास्थ्य के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, तुम्हें उनको अच्छे से वृद्धाश्रम में भर्ती करवा देना चाहिए, रुपए-पैसे की तो कोई कमी है नहीं ;और हम भी उनसे मिलने जाते रहेंगे.”

“सही कह रही हो, मैं आज ही उनसे बात करूँगा.”

जगन्नाथ महापात्र के कान इसके आगे कुछ सुन नहीं सके, उनके घूमते हुए कदम शिथिल पड़ने लगे और वे कमरे में आकर निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गए.

रात को भोजन के बाद बेटे ने जब नीची निगाहों से उनके कमरे में प्रवेश किया, वे एक दृढ़ निश्चय के साथ स्वयं को नई ज़िन्दगी के लिए तैयार कर चुके थे.

बेटे को देखकर चौंकने का अभिनय करते हुए बोले
“आओ विमल, कहो आज इधर कैसे चले आए, कुछ परेशान से दिख रहे हो, क्या बात है”?

“जी, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ, सर झुकाए हुए ही विमल ने बुझे हुए से स्वर में कहा”.~

“मुझे भी तुमसे कुछ कहना है बेटा, मैं तुम्हें बुलाने ही वाला था, अच्छा हुआ तुम स्वयं आ गए, बेफिक्र होकर अपनी बात कहो…”

“पहले आप अपनी बात कहिये पिताजी…” समीप ही पड़ी हुई कुर्सी पर बैठते हुए विमल बोला.

“बात यह है बेटे, कि डॉक्टर ने जब मेरी बीमारी खतरनाक बताई है तो मैं चाहता हूँ कि मैं अपना
शेष जीवनकाल अपने जैसे असहाय, बेसहारा और अक्षम बुजुर्गों के साथ व्यतीत करूँ.”~ कहते हुए जगन्नाथ महापात्र का गला रुँधने लगा.

सुनते ही विमल मन ही मन ख़ुशी से फूला न समाया, पिताजी ने स्वयं आगे रहकर उसे अपराध-बोध से मुक्त कर दिया था. लेकिन दिखावे के लिए उसने पिता से कहा~

“यह आप क्या कह रहे हैं पिताजी, आपको यहाँ रहने में क्या तकलीफ है?
“नहीं बेटे, मुझे यहाँ रहने में कोई तकलीफ नहीं ;लेकिन यह कहने में तकलीफ हो रही है कि तुम अब अपने रहने की व्यवस्था अन्यत्र कर लो, मैंने इस बँगले को “वृद्धाश्रम ” का रूप देने का निर्णय लिया है, ताकि अपनी यादों और जड़ों से जुड़ा रहकर ज़िन्दगी जी सकूँ…और हाँ, तुम भी कुछ कहना चाहते थे न!…”

कमरे में एक सन्नाटा छा गया..?

Language: Hindi
Tag: लेख
214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राज जिन बातों में था उनका राज ही रहने दिया
राज जिन बातों में था उनका राज ही रहने दिया
कवि दीपक बवेजा
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
कवि रमेशराज
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
“ इन लोगों की बात सुनो”
“ इन लोगों की बात सुनो”
DrLakshman Jha Parimal
हिंदी का आनंद लीजिए __
हिंदी का आनंद लीजिए __
Manu Vashistha
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
आर.एस. 'प्रीतम'
माता पिता नर नहीं नारायण हैं ? ❤️🙏🙏
माता पिता नर नहीं नारायण हैं ? ❤️🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मिले
मिले
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
Paras Nath Jha
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Perhaps the most important moment in life is to understand y
Perhaps the most important moment in life is to understand y
पूर्वार्थ
लिखने के आयाम बहुत हैं
लिखने के आयाम बहुत हैं
Shweta Soni
कोई काम हो तो बताना
कोई काम हो तो बताना
Shekhar Chandra Mitra
विश्व हुआ है  राममय,  गूँज  सुनो  चहुँ ओर
विश्व हुआ है राममय, गूँज सुनो चहुँ ओर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
सुनो...
सुनो...
हिमांशु Kulshrestha
छाती पर पत्थर /
छाती पर पत्थर /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
अपनापन
अपनापन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अहाना छंद बुंदेली
अहाना छंद बुंदेली
Subhash Singhai
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
Srishty Bansal
2898.*पूर्णिका*
2898.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*रामपुर के राजा रामसिंह (नाटक)*
*रामपुर के राजा रामसिंह (नाटक)*
Ravi Prakash
"पैमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"सिद्धिदात्री माँ"*
Shashi kala vyas
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
It is not necessary to be beautiful for beauty,
It is not necessary to be beautiful for beauty,
Sakshi Tripathi
Loading...