फैशन की दुनिया
फैशन की इस दुनिया में,
ये कैसा तोल-मोल है ।
इज्जत से मंहगा यहां,
कपडो़ का मोल है ।।
बिकते लाखों और करोडो़ं मे,
नेता-अभिनेताओं के सूट है ।
बिखरे पडे़ रहते है कचरे में,
शहीदों की वर्दी और बूट है ।।
दुनिया में पहनावे का,
ये कैसा अजब-गजब खेल है ।
भद्र जनों के वेश में,
भेडियों का मेल है ।।
मन का मैल न धोकर,
तन को धोने में लगे है ।
दुनिया को दिखाने,
राम भजन में लगे है ।।
होटल और पबों में,
पैसे ही पैसे बरसते है ।
सोने का ढेर लगा,
सोने को तरसते है ।।
लोभ-लालच, मोह-माया का,
ये कैसा भ्रम जाल है ?
भूखे-नंगे असहाय की,
न कोई देखरेख न कोई ख्याल है।।
सरे – राह होता रहता है,
इज्जत से खिलवाड़ ।
लोग घरों में दुबक कर,
बंद कर लेते है किबाड़ ।।