फैशनप्रथा
फैशन में पहनावे का, ये क्यों बदला स्वरूप है,
कल जो पहने मर्दाना, वो आज जनाना रूप है।
पहले पुरुष के अंग वस्त्र तो, कम होया करते थे,
चमक दमक से सूट बूट में, न वो खोया करते थे।
था पौरुष उनके बाजू में, तन पे चमकता धूप है,
कल जो पहने मर्दाना, वो आज जनाना रूप है।
स्त्री कम है नही किसी से, बात ये सब स्वीकारेंगे,
पर अंग प्रदर्शन के कारण, छलिया उन्हें निहारेंगे।
अर्धनग्नता के ही चलते, देवी दिखती कुरूप है,
कल जो पहने मर्दाना, वो आज जनाना रूप है।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०२/१२/२०१८ )