Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2023 · 3 min read

“ फेसबूक मित्रों की नादानियाँ ”

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
======================
हालाँकि सारी बातें जो कहीं या बोलीं जातीं हैं उसे उसका स्वरूप भले ही साहित्यिक हो पर उन परिधियों से दूर रख कर देखें तो हमें जीवन की बहुमूल्य निधि उसमें निहित रहती है ! सीमित समलोचना ,सकारात्मक टिप्पणियाँ ,हौसला अफजाई करने के उपरान्त उन बातों को भूल जाना शायद स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है ! परंतु उसे अपने हृदय और मन में गाँठ बाँधकर रख लें तो सम्पूर्ण जीवन पर्यंत कवच और कुंडल बन जाते हैं ! इन्हीं छोटी -छोटी बातों को हम जीवन भर सीखते रहते हैं !
हम दिन -प्रतिदिन अपनी क्रियाकलापों और दूसरे के गतिविधियों का अवलोकन करके एक दिव्य अनुभव का एहसास करते हैं ! इन एहसासों ,अनुभवों ,संवेदनाओं और दुख- सुख के प्रतिक्रियाओं को समय -समय पर बिखेरता रहता हूँ ! जो बातें मुझे कहनी है उसे किसी ना किसी माध्यम से व्यक्त करता हूँ ! यह कभी कविता बन कर उभरती है ! कभी ये गद्द का शक्ल इख्तियार कर लेती है ! हाँ ,साक्षात कोई बातें किन्हीं को बतानी हो तो मैसेंजर पर ही कह देता हूँ ! यदा -कदा वीडियो को भी अपने संदेशों का माध्यम चुन रखा है !
यह तो घोर बिडम्बना है कि संख्या में अधिक हैं पर मात्र 2% प्रतिशद ही लोग इन बातों को पढ़ते हैं ! 0.5% प्रतिशद लोग पढ़ते और उसे जीवन के सफलताओं का मंत्र समझने लगते हैं ! हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिवेशों में यह अनिवार्य माना गया है ! परंतु क्या मित्रता करने से पहले हमें उनको जानना और पहचानना नहीं चाहिए ? हमारे विचारों में भिन्यता आए तो मित्रता की दीवार ही हिल जाएगी ! इन बातों का उल्लेख मैं सदा किया करता हूँ पर शायद ही कोई इसे हृदय से स्वीकार करता है !
मित्रता के बंधन में बंधने के बाद अधिकाशतः हमारे मित्र मौन रहना पसंद करते हैं पर उनकी बेढब प्रतिक्रियाओं का शिकार हमलोगों को फेसबूक के मैसेंजर पर होना पड़ता है ! तरह -तरह के विचित्र पोस्ट भेजने लगते हैं ! उन्हें यह ज्ञात संभवतः होता नहीं है कि आखिर हमारे मित्रों को पसंद क्या है ! यह हमारे अधूरे प्रोफाइल का प्रभाव है ! अधूरे प्रोफाइलों से दरअसल हम एक दूसरे को भली -भाँति जान नहीं पाते ! और आपने यदि बेहिचक अपना व्हाट्सप्प नंबर दे दिया तो समझ लीजिए तो आपने खुद फाँसी का फँदा अपने गले में लगा लिया !
इस रंगमंच की खास विशेषता है कि हमें और लोगों की खुशियों को साझा करती है ! जन्मदिन की घंटी हर दिन बजती है ! आप जिसे चाहें बधाई और शुभकामना दे सकते हैं ! और दूसरी खुशियाँ तो स्वयं मित्र अपने टाइमलाइन पर पोस्ट करते ही हैं ! सालगिरह ,बच्चों का जन्म ,गृह प्रवेश ,धार्मिक अनुष्ठान ,पुरस्कार समारोह ,पुस्तक विमोचन इत्यादि इत्यादि ! आप जन्म दिन या और कोई उपलब्धियों की बधाई और शुभकामना लिख भेजिए परंतु 2% को छोड़कर आपको अकर्मण्यता अधिकाशतः लोगों में देखने को मिलेगा ! उनकी प्रतिक्रियाओं को देखकर यह आभास होने लगेगा कि ये बधाइयाँ और शुभकामनाएं उनके अधिकार हैं !
हम इस रंगमंच के विविधता को भूल बैठे हैं ! तरह -तरह के फूल खिले हैं इसमें ! सब के अपने -अपने सुगंध हैं जिनकी खुसबू से सारा चमन सुगंधित हो उठता है ! सबसे बड़ी बात श्रेष्ठ और सेलेब्रिटी को इस रंगमंच पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया का प्रदर्शन कर लोगों का पथप्रदर्शक बनना होगा ! सिर्फ अपने प्रचार -प्रसार में ना लिप्त रहें ! आपको आगे बढ़कर सारे रंगमंच को संदेश देना चाहिए ! महानायक बने और ध्रुवतारा की तरह सदा आकाश में चमकते हुए लोगों का मार्ग प्रशस्त करें !
==================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
20.02.2023

Language: Hindi
250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#तुम्हारा अभागा
#तुम्हारा अभागा
Amulyaa Ratan
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पीतल सोना एक से,
पीतल सोना एक से,
sushil sarna
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
Manju sagar
" गौर से "
Dr. Kishan tandon kranti
सपनों को दिल में लिए,
सपनों को दिल में लिए,
Yogendra Chaturwedi
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
Suryakant Dwivedi
दोहे- शक्ति
दोहे- शक्ति
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
तुम्हारे साथ,
तुम्हारे साथ,
हिमांशु Kulshrestha
वो तो है ही यहूद
वो तो है ही यहूद
shabina. Naaz
*आदित्य एल-1मिशन*
*आदित्य एल-1मिशन*
Dr. Priya Gupta
अर्थव्यवस्था और देश की हालात
अर्थव्यवस्था और देश की हालात
Mahender Singh
जब हम गलत मार्ग या भटकते हैं तभी हम खोज के तरफ बढ़ते हैं, नह
जब हम गलत मार्ग या भटकते हैं तभी हम खोज के तरफ बढ़ते हैं, नह
Ravikesh Jha
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
साइस और संस्कृति
साइस और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
Ravi Prakash
*तेरी याद*
*तेरी याद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जीवन
जीवन
पंकज परिंदा
ख्याल........
ख्याल........
Naushaba Suriya
4606.*पूर्णिका*
4606.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इश्क का इंसाफ़।
इश्क का इंसाफ़।
Taj Mohammad
..
..
*प्रणय*
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
मुक्तक
मुक्तक
Sonam Puneet Dubey
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
कवि दीपक बवेजा
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
निराशा क्यों?
निराशा क्यों?
Sanjay ' शून्य'
Loading...