Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2021 · 2 min read

“ फेसबूक बन गया ज्ञान की गंगा “

“ फेसबूक बन गया ज्ञान की गंगा “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
====================
फेसबूक को एक अद्भुत गंगा माना गया है जिसकी धारा अविरल तुंग शिखर से निकल कर आवध गति से बढ़ती हर अवरोधक कंटकाकीर्ण मार्ग को चीरती अपने लक्ष्य की ओर चलती रहती है ! छोटी बड़ी जल की धारायें और सहायक नदियाँ इनमें समाहित होती हैं ! फेसबूक के क्षितिजों में भी अनेक तारे छिपे हैं जिनकी प्रतिभाओं की रोशनी से सारा ब्रह्मांड जगमगाने लगता है ! कोई महान लेखक, तो कोई अद्भुत कवि ,जिनकी लेखनियों से “सत्यम ,शिवम और सुंदरम “का आभास मिलता है ! विश्व की 6809 भाषाओं का दर्शन होता है ! संस्कृति ,रहन -सहन ,रीति -रिवाज़ और भेष -भूषा का भी अवलोकन करते हैं ! शिक्षक ,साहित्यकार ,गायक ,संगीतकार ,चित्रकार ,अभिनेता ,अधिवक्ता ,व्यंगकार ,चिकित्सक ,खिलाड़ी इत्यादियों के योगदानों से फेसबूक की निर्मल धारा बहती है ! इनके योगदानों से ही हमारा फेसबूक निखरता और चमकता है ! इनकी कृतिओं से सारे लोग तृप्त हो जाते हैं ! इनके सानिध्य से हमारा व्यक्तित्व निखरने लगता है ! ज्ञान गंगा की अविरल धाराओं से हम सब दिन सिक्त होते रहते हैं ! लेखनी को पढ़कर ,कविताओं को सुनकर ,गायन और संगीत ,अभिनय भंगिमा ,दिव्य चित्रकला ,राजनीति समालोचना ,निष्पक्ष पत्रकारिता ,व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति ,सेहत की जानकारी इत्यादिओं का गहन अवलोकन और चिंतन करके हम निखरने लगते हैं ! एक सकारात्मक प्रतिक्रिया और सटीक समालोचना से हमारे कुम्भ स्नान हो जाते हैं और जन्म -जन्म के संदेहों और जिज्ञासाओं का बैतरणी पार हो जाता है !उनकी बातें तो जुदा है जो इस पवित्र ज्ञान गंगा तक पहुँच कर इसमें डुबकी ना लगाते हैं !“ जिन खोजा तिन पाइया ,गहरे पानी पैठ ! मैं बपुरा बुड़न डरा ,रहा किनारे बैठ “ अब हम कुछ लिखेंगे नहीं ना पढ़ेंगे और ना ज्ञान गंगा के पास पहुँचने का प्रयास भी ना करेंगे तो हम धनुर्धर कैसे बनेंगे ?“गंगा का लक्ष्य है सागर से मिलना ,ऊँचे -नीचे राहों से उसको क्या करना !”ज्ञान गंगा की अविरल धारा इसी तरह बहनी चाहिए ! हमें अकर्मण्यताओं की भंगिमाओं को नज़र अंदाज़ करनी चाहिए ! कई लोग तो अपने काले कम्बलों को ओढ़े कई विचित्र दूषित नालों में नहा लेते हैं ! पर ज्ञान गंगा सिर्फ फेसबूक की पवित्र धाराओं में ही निहित है !ज्ञान गंगा के अमृत को बहाने बालों को भी विशाल हृदय वाला होना ही चाहिए ! श्रेष्ठ तो गंगा भी हैं पर वह समदर्शी हैं ! अपनी शीतल धारा से सबका कल्याण करें ! सबके साथ जुड़े रहें ,सबका सम्मान करें और सबसे दो बातें भी करें ! अपने धुनों पर सिर्फ हम नाचेंगे तो लोग हमसे किनारा कर लेंगे ! यदि हमें कुछ नई बातें सीखनी है तो फेसबूक के ज्ञान गंगा में अनवरत गौते लगाने ही पड़ेंगे ! हमें शालीनता ,शिष्टाचार और मृदुलता के मंत्रों को प्रयोगात्मक कंठस्थ करना होगा तभी हमें फेसबूक गंगा हमें निर्मल बनाएगी !
======================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
..
..
*प्रणय*
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
चलो कुछ नया करते हैं
चलो कुछ नया करते हैं
AMRESH KUMAR VERMA
जीवन की धूल ..
जीवन की धूल ..
Shubham Pandey (S P)
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
Lokesh Sharma
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
पंकज परिंदा
गुजार दिया जो वक्त
गुजार दिया जो वक्त
Sangeeta Beniwal
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
3284.*पूर्णिका*
3284.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
Taj Mohammad
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
VINOD CHAUHAN
प्रतिशोध
प्रतिशोध
Shyam Sundar Subramanian
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तुम अपनी शादी में बुलाना  मै  आऊंगा जरूर....
तुम अपनी शादी में बुलाना मै आऊंगा जरूर....
Vishal Prajapati
जरूरत और जरूरी में फर्क है,
जरूरत और जरूरी में फर्क है,
Kanchan Alok Malu
ये दुनिया
ये दुनिया
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"सच के खिलाफ विद्रोह करते हैं ll
पूर्वार्थ
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
जिन्हें हम पसंद करते हैं
जिन्हें हम पसंद करते हैं
Sonam Puneet Dubey
*पत्रिका-समीक्षा*
*पत्रिका-समीक्षा*
Ravi Prakash
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
"क्रूरतम अपराध"
Dr. Kishan tandon kranti
हम भी तो गुज़रते हैं,
हम भी तो गुज़रते हैं,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...