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28 Apr 2024 · 2 min read

” फेसबूक फ़्रेंड्स “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
================
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!
गए वो दिन हमारे भी
जहां हम खत को लिखते थे
रहें हम दूर ही लेकिन
मिलन को हम तरसते थे !!
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

बनालो दोस्त अब लाखों
कहाँ वो प्रेम पनपेगा ?
नहीं मिलता सुदामा कृष्ण
ना सदियों में ही जनमेगा !!
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

डिजिटल साथी अपना तो
बड़ा बेजुबान होता है
बड़ा लें अपनी संख्या को
वही महान होता है !!
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

किसी को हम नहीं जाने
नहीं वो हमको पहचाने
बने हैं नाम के साथी
भला क्यों उनको हम माने ?
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

कोई शालिनताओं को
नहीं कभी ध्यान देते हैं
कई उन्माद पोस्टों से
मित्रता शर्मसार करते हैं !!
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

नहीं आहात कभी करना
हमें यह ध्यान रखना है
सभी मित्रों को मिलकर ही
नयी दुनियाँ बसाना है !!
बने हो दोस्त मेरे तो सदा तुम मौन रहते हो
ना कोई गुफ़्तगू मुझसे न कोई खत ही लिखते हो !!

===================
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
28.04.2024।

Language: Hindi
139 Views

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