“फेसबूक के सेलेब्रिटी”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
====================
कितने मशक्कतों के बाद दोस्ती की बयार बहती थी ! बचपन के दोस्त ,स्कूल के दोस्त ,गाँव मुहल्ले के दोस्त ,खेल -कूद के दोस्त ,कॉलेज के दोस्त और अपनी नौकरी के दोस्त का सामना होता था ! एक बात तो साधारणतः एक जैसी होती थी ! हम प्रायः -प्रायः हम उम्र होते थे ! हमारे ख्याल एक जैसे हुआ करते थे और यदि थोड़ा सा विभेद का समावेश की भनक आ गयी तो समझ लें मित्रता अपनी पगदंडियों से फिसल गयी ! उम्र के आलवे हमारे विचार मिलते -जुलते होते थे ! आपसी सहयोग की भावना सदा ही पनपती रहती थी ! हमारा मिलना -जुलना सदैव निर्धारित रहता है ! अपने मित्रों के बीच गोपनीयता का मंत्र गूँजता था ! हम मनोरंजन से सराबोर रहते थे ! हमें एक दूसरों की चिंता रहती थी ! आखिर उसके अनुपस्थिति का कारण क्या है ? हम उसकी खोज -खबर लेने उसके घर पहुँच जाते थे ! अधिकाशतः यह मित्रता आजन्म तक रहती है !
यह बात तो माननी पड़ेगी कि डिजिटल मित्रता रेत के टील्हे पर खड़ी एक इमारत की जैसी है जो एक झटके में अपना अस्तित्व मिटा देती है ! यहाँ ना उम्र की सीमा है ! किसी से आप शीघ्र जुड़ सकते हैं ! आपके विचारों की समानता ,सहयोग की भावना ,मिलना -जुलना और गोपनीयता के मापदंडों की अपेक्षा आप सपनों में भी नहीं कर सकते हैं ! और यही एक कारण विद्यमान है कि जितने तीव्र गति से आप फेसबूक के पन्नों पर एक के बाद एक मित्र बनाते चले जाते हैं उतने द्रुत गति से आपके मित्र बदलते चले जाते हैं ! विचारों का युद्ध हमें मित्र नहीं रहने देती ! कालांतर में उन्हें हम अनफॉलो ,अनफ्रेंड और ब्लॉक करते हैं !
फिज़िकल फ्रेंडशिप में रूठने -मनाने की बातें होती है पर डिजिटल फ्रेंडशिप में आपके लिखित शब्दों को कोई नहीं भूल पाता है ! यहाँ अनफॉलो ,अनफ्रेंड और ब्लॉक की भाषा सब जानते हैं और शायद ही बिछुड़े दोस्तों से कोई मिलने की इच्छा रखता हो !
हमें यह भलीभाँति ज्ञात है कि डिजिटल मित्रों में कई सेलेब्रिटी ,कई महान गायक ,कई महान कवि ,उच्च कोटि के लेखक ,संगीतकार ,पत्रकार ,संवाददाताओं का जमावड़ा है ! अधिकाशतः लोग इस भ्रम में जी रहे हैं कि हमारी गतिविधियों को लोग अवलोकन करे ! हमारी कृतिओं भलीभाँति लोग पढ़ें ,नृत्य की भंगिमाओं को निहारें ,हमें जो सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया है उसकी तारीफ करें ! हमारी हवाई यात्रा ,विदेश भ्रमण ,हमारे गीत ,हमारा संगीत ,हमारी लेखनी इत्यादि को आपलोग देखें और हमारा प्रमोशन करें और तारीफ करें !
अकर्मण्यता के बोझ तले अधिकाशतः लोग दबे पड़े हैं पर हमें यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि आखिर यह छुआ -छूत का संक्रामक हमारे कोरोना महामारी से बढ़कर है और इसके इन्जेक्शन का खोज अभी तक हो नहीं पाया है ! इस रोग को हम सबको मिलकर मिटाना होगा ! सेलेब्रिटी के साथ -साथ हरेक का कर्तव्य है कि लोगों से जुड़कर रहें और यदा कदा संवाद स्थापित रखें !!
====================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
08.08.2022.