Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2022 · 1 min read

“ फेसबुक क मैथिल मित्र ”

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
=================
मन भेल हमरो ,
मित्र हम बढ़ाबि !
मित्रता क सूची ,
मे नाम लिखाबि !!

चुनि -चुनि केँ ,
रीक्वेस्ट पठेलहूँ !
झा ,पाठक, मिश्र ,
केँ दोस्त बनेलहूँ !!

ठाकुर, राय, सिंह ,
सब मित्र बनलाह !
अपन लेखनी सँ ,
किछु गप्प केलाह !!

कियो HI कहलनि ,
S 2 U कहलाह !
कियो अँगूठा देखा ,
विलीन भ गेलाह !

बहुत कम छथि ,
मैथिली लिखय वला !
बहुत कम छथि ,
मैथिली बाजे वला !!

कियो कियो रोमन ,
में मैथिली लिखताह !
कियो अनडन गप्प ,
मारि चलि जेताह !!

हम नहि कहब ,
आनकेँ तिरस्कार करू !
भ सकय सब केँ ,
आहाँ अंगीकार करू !!

मुदा मैथिल छी त ,
मैथिली बाजल करू !
लिख नहि सकैत छी ,
लिखबाक प्रयत्न करू !!

शालीनता ,शिष्टाचार ,
मिथिलाक शान अछि !
भाषा संस्कृति मे ,
समाहित प्राण अछि !!
=================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
12. 04. 2022.

Language: Maithili
1 Like · 97 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
😢आप ही बताएं😢
😢आप ही बताएं😢
*प्रणय*
मुड़े पन्नों वाली किताब
मुड़े पन्नों वाली किताब
Surinder blackpen
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
हरवंश हृदय
जहां सीमाएं नहीं मिलती
जहां सीमाएं नहीं मिलती
Sonam Puneet Dubey
3238.*पूर्णिका*
3238.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी गवाह हैं।
जिंदगी गवाह हैं।
Dr.sima
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
कविता _ रंग बरसेंगे
कविता _ रंग बरसेंगे
Manu Vashistha
अगर मैं कहूँ
अगर मैं कहूँ
Shweta Soni
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
gurudeenverma198
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
पूर्वार्थ
शिव वन्दना
शिव वन्दना
Namita Gupta
जागो, जगाओ नहीं
जागो, जगाओ नहीं
Sanjay ' शून्य'
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
धुंध कुछ इस तरह छाई है
धुंध कुछ इस तरह छाई है
Padmaja Raghav Science
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
Sarfaraz Ahmed Aasee
बेबाक ज़िन्दगी
बेबाक ज़िन्दगी
Neelam Sharma
उम्मीद का टूट जाना
उम्मीद का टूट जाना
हिमांशु Kulshrestha
वक़्त को वक़्त ही
वक़्त को वक़्त ही
Dr fauzia Naseem shad
अब ये ना पूछना कि,
अब ये ना पूछना कि,
शेखर सिंह
I met Myself!
I met Myself!
कविता झा ‘गीत’
“एक वक्त  ऐसा आता हैं,
“एक वक्त ऐसा आता हैं,
Neeraj kumar Soni
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
लम्हे पुराने
लम्हे पुराने
मनोज कर्ण
*होली*
*होली*
Dr. Priya Gupta
Loading...