” फेसबुक क जानलेबा बोखार “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमरो फेसबुक क
बोखार चढ़ि गेल ,
गत्र -गत्र टूटि
माथ पर चढ़ि गेल !
मित्राताक वायरस
हमरो जकड़ि
लेलक !
दन दनेने
चारु दिशि सँ
मित्राताक प्रहार
भेल !!
हमहूँ सब केँ
स्वीकार केलहूँ ,
देखैत -देखैत हमरो
मित्रक कौरव सेना
बनि गेल ,
हम मोछ मे
मटिया तेल
आ ढोंढ़ी मे
अलकतरा
लगबय लगलहूँ !
ताल ठोकि
अप्पन करेज
गर्व सँ ठोकय
लगलहूँ !!
अप्पन नव -नव
रचना केँ अप्पन
टाइम लाइन
पर छिरया
रहल छलहूँ ,
प्रशंसा लोग
करैत रहला ,
कियो कहला
आहाँ “महान “छी !
कियो कहला
आहाँ
सर्व गुण संपन्न ”
छी !
हम इ सब सुनि
‘फुकना ‘एहन
फूलि रहल छलहूँ
कनि अपना केँ
कौरव सेना क
सेनापति बुझि
रहल छलहूँ
पहिने त हमर
पोस्ट शेयर
करय लगलाह
बाद मे पता
लागल
हमर लेखनी सँ
हमर नाम हटा
अप्पन नाम
लिख’ लगलाह !
एहिना यदि
अपना सँ
प्रहार हैत
कवच कुण्डल
छीन लेब
त हमर कोन
उपाय हैत ?
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका