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29 Nov 2021 · 2 min read

“ फेसबुक के पन्नों में जुड़ गए ,पर दूरियाँ बढ़ती गयीं “

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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जब से आप दोस्त बने हैं ना कभी आप से बातें हुईं ! हमने कई बार आपके दरवाजे को दस्तक दिया पर आपकी बेरुखी ने आपको श्रेष्ट अपनी नज़रों में तो बना दिया ! माना कि आप बड़े कलाकार हैं ! आपका नाम है सम्मान है ! दसों दिसाओं में आपकी तूती बोलती है ! आपके गाँडीव में दिव्य अस्त्रों का भंडार है ! आप धनुर्धर योध्या हैं ! आपकी वीरता का यशगान सब गुनगुनाते हैं ! फेसबुक रंगमंच में आपको महानायक कहा जाता है !
परंतु इस रंगमंच में सबों के योगदानों को हम भूला नहीं सकते ! महानायक को भी सहायक कलाकारों की आवश्यकता होती है ! रणक्षेत्र में सैन्यरहित सेनापति का अस्तित्व ही नहीं ! कलाकारों का अभिनय किस काम का जब दर्शक ही नहीं और ना प्रशंसक ही ? महानायक की उपाधि किसी को खैरात में नहीं मिलती ! उनकी प्रखर योग्यता और लोगों के हृदय में बसने की क्षमता से ही वे महानायक बनते हैं !
हमें रह -रहके हमारे विभिन्य भंगिमाओं की समालोचना ,टिप्पणियाँ ,प्रशंसा ,आभार और स्नेह के शीतल फुहारों से सिक्त किया जाता है ! अभिनंदन के मालाओं से हमारे उर सजाए जाते हैं ! हमारी कविता ,लेखनी ,अभिनय ,गाँव की यात्रा ,जन्मदिन ,सालगिरह ,विडिओ लाइफ इत्यादि को अपने -अपने ढंगों लोग सराहते हैं ! पर हम उनके प्रतिउत्तर में सिर्फ लाइक करके किनारे लग जाते हैं !
यही वो क्षण है जो हम इन लोगों के करीब आ सकते हैं ! फेसबुक मित्र बनने के पश्चात हम आभार व्यक्त नहीं करते हैं ! कोई गुफ़्तगू नहीं होती ! ना मैसेंजर का कोई जबाव आता है ! किसी और के टाइम लाइन को नहीं झाँक सकते हैं ! अब यदि हम उनकी समालोचनाओं और टिप्पणियों का यथोचित जबाव नहीं देंगे तो शायद ही वे हमें कभी माफ करें और हम अकेले रह जायेंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
29. 11. 2021.

Language: Hindi
Tag: लेख
193 Views
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