Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2018 · 3 min read

फेसबुकया प्यार

तृष्णा ने लैपटॉप खोला। स्टार्ट स्विच दबाया तो उसके समक्ष उसीकी एक मनमोहक अंदाज़ में खींची गयी तस्वीर प्रस्तुत हो गयी। तस्वीर को देख कर उसके मुख पर स्माइली समान एक मुस्कान छितर गयी। एक भरपूर अंगड़ाई लेकर उसने फेसबुक की साइट में लाग इन कर दिया। होम पेज आते ही उसके सामने फेसबुक द्वारा सुझावित पुरानी यादों के स्टेटस थे जो वह शेयर कर सकती थी और कुछ मित्र बनाने के सुझाव भी सामने थे। ‘ हूँ। दिलचस्प। ‘ उसने सोचा और हर सुझावित पुरुष मित्रों के पटल को जांचने परखने लगी। एक पुरुष मित्र का प्रोफाइल उसको भा गया तो उसने ‘मित्र इच्छा ‘ पर क्लिक कर दिया।
+++++
तुषार आईफ़ोन पर किसी से लेन देन की बात कर कर रहा था जब उसके फ़ोन पर फेसबुक मैसेज की सूचना प्राप्त हुए । उस समय तो उसने सूचना को अनदेखी कर दिया पर घर पहुँचते ही उसने अपना लैपटॉप खोला , फेसबुक पर गया I तृष्णा के मित्र निवेदन को पा कर उसके पटल पर गया I तृष्णा की मनमोहक तस्वीर देखी , पर उसके बारे में अधिक जानकारी ना पा कर भी उसने उसके मित्र निवेदन को स्वीकार कर लिया।
+++++
फेसबुक ने दुनिया की आधी आबादी को इतना नज़दीक ला कर खड़ा कर दिया कि किसी से भी सम्पर्क साध लीजिये और जान पहचान बना लीजिये। तुषार और तृष्णा को केवल एक हफ्ता लगा उस मंजिल को पाने में जिसे पाने में पहले महीने -साल लग जाते थे I अब फेसबुक चट बोल पट खोल के फंडे को साकार करता दिखाई देता है। दोनों एक दुसरे के बारे में जानने को उत्सुक थे। एक महीना भी नहीं बीता कि अजनबी से मित्र, प्रिय मित्र, आप , तुम फिर हम बनते देर नहीं लगी। पहले हाय -हेलो , फिर हाल-चाल , फिर एक दूसरे के शौक- वोक ,फिर घरबार – आमदनी फिर अता -पता और अंत में मुलाक़ात का वादा। यही तो है फेसबुकया प्यार।
+++
“यस !” तुषार बहुत प्रसन्न था और बियर की बोतल ले कर चुस्कियां लेने लगा।
+++
” यस !” तृष्णा को मानो मन मुताबिक वस्तु मिल गयी हो। उसने शॉपिंग माल जाने का इरादा कर लिया।
+++
फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। तृष्णा दिल्ली से थी और तुषार मुंबई से। दोनों ने पहली बार आपस में मिलने को तय किया। तृष्णा मुंबई नहीं आना चाहती थी , तुषार दिल्ली नहीं जाना चाहता था। किस डर से वह डर रहे थे वह वही दोनों ही अपने अपने दिलों में जानते थे। तुषार ने पूना में तो तृष्णा ने जयपुर में मिलने के लिए कहा। नारी में यकीनन एक ऐसा आकर्षण होता है कि नर उसे मना करने से हमेशा हिचकिचाता रहता है। तुषार ने बहुत सोचने समझने के उपरांत तृष्णा से जयपुर में मिलने की हामी भरी। हामी भरते ही तुषार ने अमेज़ॉन से कुछ वस्तुओं का अर्जेंट ऑर्डर दे दिया।
+++
जयपुर के एक होटल में दोनों दिल खोल कर मिले मानो सदियों से एक दुसरे को जानते हों। पूरा दिन जयपुर घूमने के बाद उन्होंने पूरी रात एक दुसरे के साथ बितायी। दुसरे दिन सुबह दोनों बहुत खुश नज़र आ रहे थे मानो कारूं का खज़ाना हाथ लग गया हो। १२ बजे चेक आउट के समय दोनों ने फिर मिलने के वादे के साथ अपने अपने शहर की राह ली।
+++
तृष्णा ने अपना लैपटॉप खोला। तुषार का मैसेज था। मैसेज पढ़ कर वह सन्न रह गयी। तीन एक विडिओ भी थे। सभी उन अंतरंग क्षणों के थे जो उसने तुषार के संग जयपुर में गुज़ारे थे। उसे विश्वास नहीं हुआ। पूरे २५ लाख रूपये की मांग तुषार के संदेश में इस धमकी के साथ थी के अगर तृष्णा उसकी मांग पूरी नहीं करेगी तो विडिओ सार्वजानिक हो जाएंगे। कुछ देर तो उसे विश्वास नहीं हुआ पर फिर वह बेतहाशा हंसने लगी।
+++
तुषार ने अपना लैपटॉप खोला। तृष्णा का मैसेज था। मैसेज पढ़ कर वह सन्न रह गया । तीन एक विडिओ भी थे। सभी उन अंतरंग क्षणों के थे जो उसने तृष्णा के संग जयपुर में गुज़ारे थे। उसे विश्वास नहीं हुआ। पूरे २५ लाख रूपये की मांग तृष्णा के संदेश में इस धमकी के साथ थी के अगर तुषार उसकी मांग पूरी नहीं करेगा तो विडिओ सार्वजानिक हो जाएंगे। कुछ देर तो उसे विश्वास नहीं हुआ पर फिर वह बेतहाशा हंसने लगा।
+++
प्यार की परिभाषा फेसबुक ने अब बदल कर रख दी थी ।
======================================
सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 624 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मोबाइल भक्ति
मोबाइल भक्ति
Satish Srijan
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
Ravi Prakash
आहत हो कर बापू बोले
आहत हो कर बापू बोले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हिमनद
हिमनद
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"मधुर स्मृतियों में"
Dr. Kishan tandon kranti
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
गुमनाम 'बाबा'
किताबे पढ़िए!!
किताबे पढ़िए!!
पूर्वार्थ
भजन- कावड़ लेने आया
भजन- कावड़ लेने आया
अरविंद भारद्वाज
नया साल लेके आए
नया साल लेके आए
Dr fauzia Naseem shad
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बदनाम
बदनाम
Neeraj Agarwal
मुक्तक - वक़्त
मुक्तक - वक़्त
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
4294.💐 *पूर्णिका* 💐
4294.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Manisha Manjari
जिंदगी का हिसाब
जिंदगी का हिसाब
Surinder blackpen
उदासी की यही कहानी
उदासी की यही कहानी
Suryakant Dwivedi
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
Ravi Betulwala
जो चलाता है पूरी कायनात को
जो चलाता है पूरी कायनात को
shabina. Naaz
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
"प्रेम न पथभ्रमित होता है,, न करता है।"
*प्रणय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अधूरापन
अधूरापन
Dr. Rajeev Jain
kanhauli estate - Ranjeet Kumar Shukla
kanhauli estate - Ranjeet Kumar Shukla
हाजीपुर
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ  ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
DrLakshman Jha Parimal
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
हिंदुस्तान के लाल
हिंदुस्तान के लाल
Aman Kumar Holy
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Vươn tới đỉnh cao cùng SV88. SV88 là nhà cái cá độ cá cược t
Vươn tới đỉnh cao cùng SV88. SV88 là nhà cái cá độ cá cược t
SV88
Loading...