Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2024 · 1 min read

फूल

फूल

हरे रंग की पत्तियों में,
खिलता गुलाबी, लाल रंग…
महक छोड़ता लोगों को आकर्षित करता-
-सांझ होते ही मुरझाता-
-डालियों से झरता धरा पर बिखरता।
मृदा में समाहित हो खुद मिटता,
कुछ ही क्षण के लिए पर अपनी महक से लाखों को लुभाता।
शुचि के भाव नमन करते पुष्पों को…
जो मिटकर भी खुद को सभी दिलों में बसा जाते।

डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि ‘
©®

2 Likes · 74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
हार का पहना हार
हार का पहना हार
Sandeep Pande
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
Keshav kishor Kumar
कथा कहानी
कथा कहानी
surenderpal vaidya
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नरसिंह अवतार विष्णु जी
नरसिंह अवतार विष्णु जी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक ग़ज़ल
एक ग़ज़ल
Kshma Urmila
"फितरत"
Ekta chitrangini
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
खोते जा रहे हैं ।
खोते जा रहे हैं ।
Dr.sima
दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
Sonam Puneet Dubey
विकास की जिस सीढ़ी पर
विकास की जिस सीढ़ी पर
Bhupendra Rawat
क्षणिका :  ऐश ट्रे
क्षणिका : ऐश ट्रे
sushil sarna
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
*श्रद्धेय रामप्रकाश जी की जीवनी मार्गदर्शन है (प्रसिद्ध कवि
*श्रद्धेय रामप्रकाश जी की जीवनी मार्गदर्शन है (प्रसिद्ध कवि
Ravi Prakash
The Lost Umbrella
The Lost Umbrella
R. H. SRIDEVI
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
"सफलता की चाह"
Dr. Kishan tandon kranti
काव्य में सहृदयता
काव्य में सहृदयता
कवि रमेशराज
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
Ansh
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
**तेरे बिना हमें रहना नहीं***
**तेरे बिना हमें रहना नहीं***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बोलबाला
बोलबाला
Sanjay ' शून्य'
कबीरा यह मूर्दों का गांव
कबीरा यह मूर्दों का गांव
Shekhar Chandra Mitra
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3595.💐 *पूर्णिका* 💐
3595.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लिखते रहिए ...
लिखते रहिए ...
Dheerja Sharma
Loading...