फूल ही फूल
फूल ही फूल खि ले है मेरे शहर में
सारे मौसम सारे रंग है मेरे शहर में
आने वालों का है खैर मकद्दम
जाने वालों का भी संग है मेरे शहर में
सुब्ह चलती है हवाएं मस्त गाती
शाम की अपनी उमंग है मेरे शहर में
झिलमिलाती रात है जगमगाती
रौशनी की हर तरंग है मेरे शहर मे
गुल खिलाते रास्ते है हर तरफ से
खिलखिलाती धूप दंग है मेरे शहर मे
क्या ही आराईश किए बाजर है
दमदमाती गुनगुनाती सुरंग है मेरे शहर में
Shabeena naaZ.. M.A..