फूल-सम हर हाल पर/ प्रीति हिंदुस्तान बन
(1)
फूल-सम हर हाल पर
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द्वंदमय जग-डाल पर,
ज्ञान-कंटक ख्याल कर |
फूलिए सुबोधी बन|
फूल-सम हर हाल पर |
(2)
प्रीति हिंदुस्तान बन
……………………..
देश का सम्मान बन |
नहिं कुभ्रम-गुमान बन|
जागरण सुबोध पकड़|
प्रीति-हिंदुस्तान बन |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता