फूल चुनोगे
फूल चुनोगे तो
काँटे भी पाओगे
अगर डरे तो
खुशबू से
वंचित रह जाओगे
काँटे कभी मिटा
न सकेंगे
फूलों का होना
लगा रहेगा उनका
हमेशा
ईर्ष्यावश रोना
फूल हमेशा
परहित की
खातिर जीते
तब तो देवों के सिर
शोभा पाते हैं
कांटे पर पीड़ा देते
हैं इसलिए
जूतों के नीचे ही
रौंदे जाते हैं
✍️सतीश शर्मा