फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए
गीतिका
आधार छंद -स्रिग्वणी (वाचिक)
मापनी २१२ २१२ २१२ २१२
समान्त- अन
पदान्त – चाहिए
फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए ।
हर तरफ शांति हो वो जतन चाहिए।।१)
वक्त बर्बाद अब तक हुआ है बहुत,
विश्व का हो गुरू वो वतन चाहिए।।(२)
पांव मेरे जमीं पर रहें बस टिके,
छू सकूं आस्मां वो गगन चाहिए।३)
द्वंद दुनिया से मेरा सदा ही रहे,
मैं रहूं मैं’ में ऐसा रहन चाहिए।४)
वक्त होता नहीं है बुरा ऐ अटल!
पढ सके वक्त को वो जहन चाहिए।(५)
खून अब बह गया बेबजह ही बहुत,
अब तो’ दुनिया में’ केवल अमन चाहिए।(६)
बात करते बहुत वो सुनाते बहुत,
कर सकें सब अमल वो कहन चाहिए।(७)
अटल मुरादाबादी
९६५०२९११०८