फूल खिले हैं डाली-डाली,
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फूल खिले हैं डाली-डाली,
सभी ओर फैली हरियाली।
प्रात काल की सूर्य किरण से,
धरती पर छाई उजियाली।
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रंग बिरंगे फूल खिले हैं,
लगते कितने प्यारे-प्यारे।
धरती से अंबर तक देखो,
खुश्बू बाँटे पवन सहारे।
बेला, चंपा, और चमेली,
महक लुटाती ये मतवाली।
फूल खिले हैं डाली-डाली….
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बाग-बाग में खिले पुष्प पर,
तितली झूमे नाचे गाए,
मधुर पराग कणों को पीकर,
भवरे उन संग गुनगुनाए।
खग-वृंद सभी चिहुक रहे हैं,
देख सूर्य की अद्भुत लाली।
फूल खिले हैं डाली-डाली……………
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स्वरचित
वेधा सिंह