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9 Jun 2024 · 1 min read

फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है

फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
तू नहीं है तो ज़माना भी बुरा लगता है

ऊब जाता हूँ ख़मोशी से भी कुछ देर के बाद
देर तक शोर मचाना भी बुरा लगता है

इतना खोया हुआ रहता हूँ ख़यालों में तेरे
पास मेरे तेरा आना भी बुरा लगता है

ज़ाइक़ा जिस्म का आँखों में सिमट आया है
अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है

मैंने रोते हुए देखा है अली बाबा को
बाज़ औक़ात ख़ज़ाना भी बुरा लगता है

अब बिछड़ जा कि बहुत देर से हम साथ में हैं
पेट भर जाए तो खाना भी बुरा लगता है

ऋतुराज वर्मा

141 Views
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