फूल का दर्द
डाली पे महकते मुस्कराते
फूल को तोड़
तेरे चरणों मे चढ़ा कर
गुनाह किया है मैने ।
अपनी इच्छाओं और
तेरी खुशी के लिये
एक सजीव बेजुबान को आज
मसल दिया है मैने ।
अधिकार नही था मुझको
फिर भी जाने अनजाने
जिन्दगी मे कई बार इस
गुनाह को दोहराया है मैने ।
जानता हूं लौट आयेगी
खुशबु फिर से चमन मे
अक्षमय नही है दर्द फूल का
जो स्वार्थ वश दिया है मैने ।।
राज विग 15.05.2022